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मकर संक्रांति है गतिशीलता का त्योहार

मकर संक्रांति है गतिशीलता का त्योहार

हमारे देश में वैसे तो बहुत सारे त्योहार है जिन्हें लोग बहुत ही धूम-धाम और पूरी श्रद्धा के साथ मनाते है। मकर संक्रांति उन्ही में से एक बेहद महत्वपूर्ण एवं गतिशीलता का त्योहार है। संक्रांति का शाब्दिक अर्थ ‘वेग या गति’ को कहते है। “मकर संक्रांति” एक ऐसा पर्व है, जिस दिन राशिचक्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाता है। हमें धरती पर जो भी नए बदलाव महसूस होते और दिखाई देते है ये गतिशीलता में नए परिवर्तन से होते हैं। पूरे साल में कई संक्रांतियां आती हैं और प्रत्येक बार राशिचक्र में परिवर्तन होता है तो उसे हम संक्रांति कहते हैं।यदी यह गतिशीलता रुक जाएगी तो हमारे मानव जीवन से जुड़ी हुई प्रत्येक चीजे रुक जाएगी।

“मकर संक्रांति” को खेत -खलियानों, फसलों से जुड़े हुए त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। असल में मकर संक्रांति वह समय है,जब हमारे खेतों में फसलें  तैयार हो चुकी होती है और हम फसलों के तैयार हो जाने की खुशीयां मनाते हैं। संक्रांति के दिन ही हम हर उन चीजों का आभार प्रकट करते हैं, जिसने खेती तथा फसल उगाने में हमारी सहायता की है। खेती करने में कृषि से जुड़े हुए पशुओं का एक महत्वपूर्ण एवं बहुत बड़ा योगदान होता है, इनके बिना तो खेती करना फसलें उगाना असंभव सा है, इसलिए उनके लिए भी मकर संक्रांति का एक दिन होता है। मकर संक्रांति का प्रथम दिन धरती का, द्वितीय दिन हम मानव का और तृतीय दिन मवेशियों का होता है। धरती को प्रथम स्थान इसलिए दिया गया है,क्योंकि धरती से ही हमारा अस्तित्व है। इसलिए मकर संक्रांति को फसलों का त्योहार भी कहते है।

श्रद्धालुओं ने इतनी कड़ाके की ठंड होते हुए भीमकर संक्रांतिमें लगाई संगम में डुबकी

इलाहबाद में लगे माघ मेले में इतनी कड़ाके की ठंड और शीतलहर में भी लाखों की तादात में श्रद्धालुओ ने संगम में नहाने के लिए पहुचे। कोहरे और शीतलहर होने के बावजूद श्रद्धालुओं की भक्ति में कोई कमी आई है। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि इतने घने कोहरे और सर्द हवाओं के होते हुए भी लोगों ने संगम पर मकर संक्रांति के स्नान के लिए पहुंचे और पूरी श्रद्धा के साथ लोगों ने संगम में में डुबकी लगाई और तिल व खिचड़ी भी दान किया।

मेला प्रशासन ने मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सुरक्षा की कड़ी से कड़े व्यवस्था की हैं। पूरे मेला क्षेत्र पर “22 वॉच टावरों” की सहायता से निगरानी रखने की व्यवस्था की गयी है। मंगलवार को मेला क्षेत्र में बढ़ती हुयी भीड़ को देखते हुए देर रात से ही वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है,जो की गुरुवार रात तक लागु  रहेगी। मेला क्षेत्र की अधिक सुरक्षा के लिए “आठ उप पुलिस अधीक्षक, तीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी), 10 इंस्पेक्टर, 1500 सिपाही, 150 सब इंस्पेक्टर, 14 प्रांतीय सशस्त्रबल कंपनी (पीएसी), दो कंपनी आरएएफ” को तैनात किया गया है। मकर संक्रांति का स्नान बुधवार से शुरू हो गया है, मगर ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश बुधवार रात 1:20 मिनट पर हुआ। तिथि के अनुसार संक्रांति का पुण्यकाल गुरुवार को सूर्योदय से शुरू हुआ, जो की शाम तक रहा। प्रशासन के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व पर 50 लाख श्रद्धालु मन में पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ संगम पर इतनी ठंड कोहरे और शीतलहर को झेलते हुए संगम में स्नान करते हुए नज़र आये।

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