नये वक्फ कानून से विकास की मुख्यधारा से जुड़ेगा पिछड़ा मुस्लिम समाज

नया वक्फ कानून लागू होने के बाद कुछ राजनीतिक दल, गैर सरकारी संस्था-एनजीओ और मुस्लिम संगठन उसे असंवैधानिक बता रहे है। माना जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष इस कानून को लेकर अदालत की चौखट पर भी पहुंचेगे। आखिर इस कानून को लेकर इतना राजनीतिक हंगामा क्यों मचा है? इसकी एक वजह ऐसी है, जिस पर कम ही लोगों का ध्यान गया है। इस कानून से मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वालों का रसूख कमजोर होता दिख रहा है। कुछ दलों को लगता है कि अगर मुस्लिम समुदाय बंटा तो उनकी राजनीति पस्त पड़ सकती है। अपने देश में आजादी के बाद से ही पंथनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टीकरण की राजनीति जारी है। मुस्लिम समुदाय को लेकर धारणा यह बनी कि वह थोक वोट बैंक है। पहले आम चुनाव में विभाजन का दर्द और स्वाधीनता संघर्ष का गर्वबोध ताजाताजा था, जिसकी प्रतिनिधि कांग्रेस थी, लिहाजा ज्यादातर मतदाताओं ने उसे पसंद किया, लेकिन बाद के दिनों में परिपक्व होता वोटर अपनी दृष्टि से राजनीतिक दलों को परखने लगा। दूसरी ओर, अल्पसंख्यकवाद के कवच से मुस्लिम वोट बैंक भी मजबूत होता चला गया। नए वक्फ कानून के खिलाफ बेशक मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा नाराज दिख रहा है, पर एक तबका समर्थन में भी उठ खड़ा हुआ है। इनमें अजमेर दरगाह के चिश्ती सैयद नसीरुद्दीन के साथ ही आल इंडिया सूफी सज्जादनशीं कौंसिल, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, भारत फर्स्ट जैसी संस्थाएं हैं।

waqf-board-bill

आल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी भी नए वक्फ कानून के समर्थन में हैं। समर्थकों की सूची में जमीयत हिमायत उलइस्लाम, पसमांदा मुस्लिम महाज और पसमांदा मुस्लिम समाज भी है। समर्थकों में सबसे ज्यादा मुस्लिम पसमांदा समाज के लोग हैं। जिन्हें आज की राजनीतिक भाषा में वंचित और शोषित कहा जाता है, वही पसमांदा हैं। पसमांदा मतलब पीछे छूट गए लोग। मुस्लिम समाज में इनकी हिस्सेदारी ८५ प्रतिशत तक मानी जाती है। देखा जाएं तो नये वक्फ कानून में वक्फ ट्रिब्युनल के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने का अधिकार दिया गया है जो कि वक्फ संपत्तियों के विवादों में मुकदमेबाजी की तस्वीर बदलेगा। अब तक उच्च न्यायालय को ट्रिव्यूनल के आदेश की सिर्फ प्रक्रिया भर आंकने का अधिकार था, समीक्षा का नहीं। जानकारो की माने तो पहले सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ट्रिब्युनल में पेश किये गये साक्ष्यों की समीक्षा नहीं कर सकता। वह सिर्फ यह देख सकता था कि ट्रिब्युनल ने आदेश देने में जो प्रक्रिया अपनाई थी वह सही थी कि नहीं। नये कानून में ट्रिब्युनल के आदेश को ९० दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील दाखिल कर चुनौती दी जा सकती है। जबकि पुराने कानून में ट्रिब्युनल का आदेश अंतिम था उसके खिलाफ अपील दाखिल नहीं की जा सकती थी। उच्च न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर, या बोर्ड द्वारा आवेदन पर अथवा पीड़ित पक्ष की याचिका पर मामलों पर विचार कर सकता था। लेकिन उच्च न्यायालय मामले पर सुनवाई रिट क्षेत्राधिकार में करता। मामले को अपील की तरह नहीं सुन सकता था जो कि अब सुन सकता है। वक्फ कानून में संशोधन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें वक्फ भूमि के दुरुपयोग और दूसरों की संपत्ति का अवैध अधिग्रहण उजागर हुआ। अभी हाल में वक्फ बोर्ड ने पूरे पूरे गांवों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था जिसमे लगभग ६०० ईसाई परिवारों की पैतृक संपत्ति को वक्फ होने का दावा किया गया और केरल के इन ईसाई परिवारों ने अपनी पैतृक भूमि पर वक्फ बोर्ड के दावे का विरोध किया। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की बात सत्य लग रही है जिसमे उन्होने कहा है कि वक्फ की जमीनसंपत्ति पर कुंडली मारकर बैठे मुट्ठी भर स्वार्थी मुस्लिम नेता और विपक्ष आम मुसलमानों में भ्रम फैला रहे हैं। गहन चर्चा के बाद दोनों सदन से पारित और राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद भी वक्फ अधिनियम पर देश में नफरत के बीज बोए जा रहे हैं, विपक्ष और स्वार्थी तत्व मुगालते में हैं।

आम मुसलमानों को पता चल गया है कि वक्फ की मलाई खाते रहे उन मुट्ठी भर लोग व विपक्ष की मंशा क्या है? इसमे कोई संदेह नही है कि आने वाले दिनों में इस कानून को लेकर न्यायालयो मे याचिकाओं अम्बार लग सकता है क्योंकि मुस्लिम संगठनों के साथ विपक्षी दलों में यह जताने की होड़ मची है कि उन्हें नया वक्फ कानून रास नहीं आ रहा है। नए वक्फ कानून की संवैधानिकता की उच्चतम न्यायालय में परख में कोई समस्या नहीं। उच्चतम न्यायालय में फैसला जो भी हो, यह कहना कठिन है कि यह संशोधित कानून पंथनिरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म की कसौटी पर खरा उतरता है, क्योंकि किसी भी वास्तविक पंथनिरपेक्ष देश में ऐसे किसी कानून के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए, जो पंथ के नाम पर बनाया गया हो। नया वक्फ कानून तब पंथनिरपेक्ष कहा जा सकता है, जब ऐसे ही कानून अन्य पंथों के लिए भी बने हों। कथित सेक्युलर भारत में ऐसा नहीं है। वक्फ कानून जैसा कोई कानून अन्य पंथों और यहां तक कि शेष अल्पसंख्यक समूहों के लिए भी नहीं है। वक्फ कानून के तहत जो वक्फ बोर्ड हैं, उनके पास एक वक्पâ ट्रिब्यूनल भी होता है। देश में किस्मकिस्म के अनेक ट्रिब्यूनल हैं, लेकिन ऐसा ट्रिब्यूनल और कोई नहीं, जैसा वक्फ बोर्डों के पास है। एक सच्चे पंथनिरपेक्ष देश में या तो ऐसा

ट्रिब्यूनल सभी समुदायों की उन संपत्तियों के संदर्भ में हो या फिर किसी के पास नहीं हो, जिनका उपयोग धार्मिक और परोपकारी कार्यों के लिए होता है। यह देखना दयनीय है कि जब हर तरह के भेद-भाव समाप्त होने चाहिए, तब कुछ नियम-कानून ही भेदभाव का जरिया बने हुए हैं। अलग- अलग समुदायों के बीच भेद करने वाले कानूनों का दुष्परिणाम यह हुआ है कि पंथनिरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म आज एक हेय शब्द बन गया है। आज वे दल भी सेक्युलरिज्म की बात नहीं करते, जो खुद को सेक्युलर बताया करते थे। नि:संदेह पंथनिरपेक्षता कोई बुरी अवधारणा नहीं है, लेकिन वह तब अवश्य बुरी हो जाती है, जब उसके नाम पर एक ही देश में अलग- अलग समुदायों के लिए भिन्न-भिन्न कानून बनते हैं। यदि देश को वास्तव में सेक्युलर बनाने की कोशिश नहीं होगी तो सेक्युलरिज्म और अधिक बदनाम होगा और यह अच्छा नहीं होगा।

  • Related Posts

    Jio भारत नया 4जी फोन – UPI और लाइव टीवी सपोर्ट के साथ सिर्फ 1,799 रुपये में उपलब्ध है

    अगर आप बजट 4जी स्मार्टफोन की तलाश में हैं तो रिलायंस जियो आपके लिए एक नया तोहफा लेकर आया है। कंपनी ने नया Jio भारत J1 4G लॉन्च कर दिया…

    देश की पहली कूप-स्टाइल एसयूवी, CURVV, लॉन्च हो गई है और यह पेट्रोल और डीजल दोनों इंजनों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन के साथ उपलब्ध है।

    उत्पादन के लिए तैयार टाटा कर्व का अनावरण किया गया है। यह देश की पहली कूप स्टाइल एसयूवी है और फिलहाल बाजार में इस एसयूवी का कोई सीधा प्रतिस्पर्धी नहीं…

    You Missed

    नये वक्फ कानून से विकास की मुख्यधारा से जुड़ेगा पिछड़ा मुस्लिम समाज

    डर्बन क्लोव का पवित्र संकल्प: संपूर्ण विश्व के लिए नि:शुल्क संगम जल उपलब्ध कराना

    पिता बनाना चाहते थे वकील बन गए एक्टरआखिर में बसों में खाने पड़े थे धक्के

    पिता बनाना चाहते थे वकील बन गए एक्टरआखिर में बसों में खाने पड़े थे धक्के

    Jio भारत नया 4जी फोन – UPI और लाइव टीवी सपोर्ट के साथ सिर्फ 1,799 रुपये में उपलब्ध है

    Jio भारत नया 4जी फोन – UPI और लाइव टीवी सपोर्ट के साथ सिर्फ 1,799 रुपये में उपलब्ध है

    देश की पहली कूप-स्टाइल एसयूवी, CURVV, लॉन्च हो गई है और यह पेट्रोल और डीजल दोनों इंजनों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन के साथ उपलब्ध है।

    देश की पहली कूप-स्टाइल एसयूवी, CURVV, लॉन्च हो गई है और यह पेट्रोल और डीजल दोनों इंजनों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन के साथ उपलब्ध है।

    तुलसी से होने वाले आश्च र्यजनक लाभों जाने

    तुलसी से होने वाले आश्च र्यजनक लाभों जाने