जानिए लोहड़ी के त्यौहार का महत्व

लोहड़ी के त्यौहार के विषय में भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार मकर संक्रांति की तैयारी में सभी गोकुलवासी लगे थे। इसी वक्त कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षसी लोहिता के प्राण हर लिये। इस उपलक्ष में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहरी का त्यौहार मनाया जाता है। राक्षसी लोहिता के प्राण हरण की हादसे को याद रखने के लिए ही इस पर्व का नाम ‘लोहड़ी रखा गया।

13 जनवरी को लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। शादी के बाद जिनकी पहली लोहड़ी होती है या जिनके घर संतान का जन्म होता है उनके लिए लोहड़ी का पर्व बहुत खास होता है। लोहड़ी को सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में आने का स्वागत पर्व भी माना जाता है। यह त्यौहार भारत में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और कश्मीर में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। लोहड़ी के त्यौहार पर कन्या के मायके से लड़की की मां कपड़े, मिठाईयां, गजक, रेवड़ी अपनी बेटी के लिए भेजती है। यह रीति वर्षों से चली आ रही है।
कहा जाता है कि जब दक्ष प्रजापति ने अपने दामाद भगवान शिव का अपमान किया था और पुत्री सती का निरादर किया तब क्रोधित पुत्री सती ने आत्मदाह कर लिया। इसके बाद दक्ष प्रजापति को इसका बड़ा दंड भोगना पड़ा। दक्ष की गलती को सुधारने के लिए ही माताएं लोहड़ी के त्यौहार पर अपनी पुत्री को उपहार देकर दक्ष द्वारा किए अपराध का प्रायश्चित करती हैं। लोहड़ी के मौके पर होलिका दहन की तरह लकड़ियों एवं उपलों ढ़ेर बनाया जाता है। शाम के वक्त लकड़ियों को जलाकर सभी लोग आग के चारों ओर चक्कर लगाते है और नाचते गाते हैं।
सभी माताएं अपने छोटे बच्चों (संतान) को गोद में लेकर लोहड़ी की आग तपाती हैं। लोगो का मानना है कि इससे बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। और बुरी नजरों से बच्चों की रक्षा होती है। पवित्र अग्नि में लोग रवि फसलों को अर्पित करते हैं। क्योंकि इस समय रवि फसलें कटकर घर आने लगती हैं। हिन्दू शास्त्रों की मान्यता ये भी है कि, अग्नि में समर्पित की गयी सामग्री यज्ञ भाग बनकर देवताओ तक पहुंच जाती है। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में रेवड़ी, तिल, मूँगफली, गुड़ व गजक भी डाले जाते हैं। इस तरह से लोग सूर्य देव और अग्नि के प्रति आभार प्रकट करते हैं क्योंकि उनकी ही कृपा से कृषि उन्नत होती है। भगवान सूर्य और अग्नि देव से प्रार्थना की जाती है कि आने वाले साल में भी कृषि उन्नत हो और सभी का घर अन्न धन से भरपूर्ण रहे।

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