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तरसेंगी लड़कियां 2050 तक सुयोग्य जीवनसाथी के लिए

तरसेंगी लड़कियां 2050 तक सुयोग्य जीवनसाथी के लिए

भारतीय युवतियों को 2050 तक सुयोग्य जीवनसाथी की तलाश में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। किये गए एक नए रिसर्च में यह दावा किया गया है की खासकर अगर लड़कियों ने कॉलेज स्तर या यूनिवर्सिटी तक की शिक्छा ली है। यदि 2050 तक वर्तमान सामाजिक मानदंड यूँही चलते रहे तो कॉलेज स्तर या यूनिवर्सिटी में शिक्छा लेने वाले पुरुषों की मांग समान शिक्छा लेने वाली महिलाओं की तुलना में ज्यादा होगी यह ‘डेमोग्राफी’ जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार कहा गया है। द सेंटर फॉर डेमोग्राफिक स्टडीट बर्सिलोना, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और मिनेसोटा पापुलेशन केंद्र अमेरिका के छात्र इस अध्ययन में शामिल थे।

अब कम होंगे पढ़ीलिखी लड़कियों के पास विकल्प :-
2050 तक 25-29 आयुवर्ग की 100 महिलाओं की तुलना में 92 पुरुष इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर अप्लाइड सिस्टम एनालसिस और विएना इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोग्राफी के मौजूदा जनसंख्या प्रक्षेपण डाटा के अनुसार “यूनिवर्सिटी एजुकेशन” हासिल करेंगे। 151 पुरुष 100 महिलाओं की तुलना में यूनिवर्सिटी में सन 2010 में शिक्छा प्राप्त करते थे। यदि वर्तमान व्यवस्था यूँ ही चलती रही तो रिसर्च के अनुसार शिक्छित महिलाओं के लिए सुयोग्य जीवनसाथी की संख्या घट जाएगी।

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