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  • सही विधान और निःस्वार्थ जप करने से पूरी होगी हर मनोकामना
    सही विधान और निःस्वार्थ जप करने से पूरी होगी हर मनोकामना

    सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नही होती है। अगर प्रार्थना मंत्रों के माध्यम से की जा रही हो तो और भी अच्छा होता है। ईश्वरीय सत्ता को मंत्र और जप के माध्यम से मानवीय प्रार्थना से जोड़ती है। शास्त्रों और सिद्ध साधकों का मानना है की, अपने ईश्वर से कुछ कहने के

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  • मूर्ति पूजा की मान्यता हिन्दू धर्म में क्यों है
    मूर्ति पूजा की मान्यता हिन्दू धर्म में क्यों है? पढ़िए

    भारत देश में परम सत्ता को जानने समझने वाली दो धाराएं रही हैं। पहली धारा परम सत्ता के निर्गुण रूप को मानने वाली और दूसरी सगुण रूप को मानने वाली है। निर्गुण धारा को मानने वालों का कहना है कि भगवान से सृष्टि हुई है। सृष्टि नाम रूपात्मक है, तो उसके रचयिता का न कोई

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  • मनुष्य के जीवन में एक मात्र दुःख का कारण
    मनुष्य के जीवन में एक मात्र दुःख का कारण है, इन्हें करें दूर

    एक नकारात्मक सत्ता अंधकार है, वहीं रोशनी का अभाव होता है। यह रोशनी कई बार परिस्थितियों की वजह से भी खो जाती है, किन्तु वैसी स्थिति में ईश्वर ने मनुष्य को वैसी ही क्षमता दे रखी है कि वह उनका उपयोग कर रोशनी के अभाव को दूर कर सके। लेकिन अंधकार को देखकर जो लोग

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  • जानिए-शनि-शिंगणापुर-की-कुछ-रोचक-बाते-
    जानिए शनि शिंगणापुर की कुछ रोचक बाते

    कई सदियों पहले जहां एक चमत्कार की तरह शन‌ि महाराज का व‌िग्रह प्रकट हुआ था और पूरा इलाका शन‌ि महाराज की देखरेख में सुख चैन की बंसी बजा रहा था। वर्तमान समय में वहां पूजा को लेकर बवाल मचा हुआ है और मह‌िलाएं यहां पूजा का अध‌िकार मांग रही हैं। मंद‌िर की परंपरा में बदलाव

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  • वर्तमान समय में अधिकांश परिवारों में परेशानियों की मुख्य वजह यह है कि वहा एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए पति-पत्नी के बीच कलह होता है कि जरूरत के समय वे एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दे पाते। बुजूर्ग माता-पिता की भी अपने बच्चों से यही शिकायत होती है। छोटे बच्चे अपनी जिद इस इच्छा के साथ पूरी कराते हैं कि मां-बाप के पास उनके लिए फुर्सत का समय नहीं होता है। परिवारों में ऐसे आभास होते रहना चाहिए कि सभी सदस्य एक-दूसरे पर पूरा ध्यान दे। धर्म-अध्यात्म में ध्यान पर बहुत ज्यादा बल दिया गया है। ध्यान का अर्थ है वर्तमान पर ध्यान करना। पुरानी सभी बातों को भूलकर और भविष्य की चिंता न करते हुए हमें वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए। जो व्यक्ति वर्तमान पर ध्यान देने की आदत डाल लेंगे, उनके घर-परिवारों में शांति और स्नेह बना रहेगा। वर्तमान समय में एकाग्रता बनाए रखने के लिए हर रोज कुछ समय ध्यान (मेडिटेशन) करना चाहिए। इसके लिए आपको किसी शांत स्थान पर बैठकर आंखें बंद करें और सभी प्रकार के विचारों पर विराम(रोक) लगाने की कोशिश करें। ऐसा करते रहने पर कुछ ही दिनों में एकाग्रता बढ़ने लगेगी और मन को शांति मिलेगी।
    इस कारण बढ़ती हैं परिवार की परेशानियां

    वर्तमान समय में अधिकांश परिवारों में परेशानियों की मुख्य वजह यह है कि वहा एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए पति-पत्नी के बीच कलह होता है कि जरूरत के समय वे एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दे पाते। बुजूर्ग माता-पिता की भी अपने बच्चों से यही शिकायत होती है। छोटे बच्चे अपनी जिद इस

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  • आपके खान-पान पर माता पिेता के संस्कारों का प्रभाव है या नहीं
    आपके खान-पान पर माता पिेता के संस्कारों का प्रभाव है या नहीं

    वर्तमान समय में आप जैसे भी है, उसके लिए निश्चित तौर आपके माता पिता ने कुछ जिम्मेदारी आप पर डाली होगी। आप जिस तरह खाते हैं, उसका दोष तो अपने माता पिता या पूर्वजो पर डाल सकते हैं। लेकिन वर्तमान समय में जो खा रहे हैं, उसके लिए अपने पूर्वजों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। आप

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  • घर से जुड़ी कुछ चीजे बन सकती है, धन हानि का वजह
    घर से जुड़ी कुछ चीजे बन सकती है, धन हानि का वजह

    वर्तमान समय में अगर आपके पास पैसे नहीं ही तो कुछ भी नहीं कर सकते है। कई बार लगातार पैसों के नुकसान की वजह वास्तु संबंधी दोष भी हो सकते हैं। वास्तु संबंधी दोष से घर में की परेशानिया आ सकती है। वास्तु के कई कारणों को ध्यान में रख कर पैसों के नुकसान को रोका

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  • पूर्वजन्म में भीष्म पितामह ने किया था बड़ा पाप
    पूर्वजन्म में भीष्म पितामह ने किया था बड़ा पाप

    महान ग्रन्थ महाभारत में इस बात का उल्लेख क‌िया गया है क‌ि भीष्म प‌ितामह ने अपनी सौतली माँ को वचन द‌िया था क‌ि वह आजीवन अव‌िवाह‌ित ही रहेंगे और ब्रह्मचर्य का पालन भी करेंगे। तमाम उम्र अपने इस वचन का पालन भीष्म प‌ितामह ने क‌िया। लेक‌िन पूर्वजन्म में भीष्म प‌ितामह व‌िवाह‌ित थे और अपनी पत्नी के

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  • वर्तमान समय में अधिकांश परिवारों में परेशानियों की मुख्य वजह यह है कि वहा एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए पति-पत्नी के बीच कलह होता है कि जरूरत के समय वे एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दे पाते। बुजूर्ग माता-पिता की भी अपने बच्चों से यही शिकायत होती है। छोटे बच्चे अपनी जिद इस इच्छा के साथ पूरी कराते हैं कि मां-बाप के पास उनके लिए फुर्सत का समय नहीं होता है। परिवारों में ऐसे आभास होते रहना चाहिए कि सभी सदस्य एक-दूसरे पर पूरा ध्यान दे। धर्म-अध्यात्म में ध्यान पर बहुत ज्यादा बल दिया गया है। ध्यान का अर्थ है वर्तमान पर ध्यान करना। पुरानी सभी बातों को भूलकर और भविष्य की चिंता न करते हुए हमें वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए। जो व्यक्ति वर्तमान पर ध्यान देने की आदत डाल लेंगे, उनके घर-परिवारों में शांति और स्नेह बना रहेगा। वर्तमान समय में एकाग्रता बनाए रखने के लिए हर रोज कुछ समय ध्यान (मेडिटेशन) करना चाहिए। इसके लिए आपको किसी शांत स्थान पर बैठकर आंखें बंद करें और सभी प्रकार के विचारों पर विराम(रोक) लगाने की कोशिश करें। ऐसा करते रहने पर कुछ ही दिनों में एकाग्रता बढ़ने लगेगी और मन को शांति मिलेगी।
    अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए ये बातें ध्यान रखें

    जिंदगी मिली है तो परेशानियों का सामना भी करना पड़ेगा। चाहे वह घर की हो या बहार की। जीवन के प्रतेक पड़ाव पर परेशानी का सामना करना होता है। कभी सफलता मिलती ही तो कभी निराशा हाथ लगती है। इसलिए घर परिवार की परेशानी को समझे हुए कुछ नए अवसरों को खोज़े। यहाँ हम आपको

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  • आमदनी को बढ़ाने के लिए आजमाए ये आसन नुस्खे
    आमदनी को बढ़ाने के लिए आजमाए ये आसन नुस्खे

    जीवन की हर परिस्थिति में वास्तु शास्त्र सभी पर गहरा प्रभाव डालता है। यही वजह है की हर किसी को वास्तु से जुड़ी विशेष बातों और नियमों का पालन करना चाहिए। यही आपकी दुकान में उम्मीदों से कम आपकी आमदनी हो रही है तो वास्तु शास्त्र की कुछ आसान सी बातें आपकी सहायता करने के

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