सैयद सलाहुद्दीन ने कहा कश्मीर को भारतीय फौजों का कब्रिस्तान बना दूंगा…
04/09/2016
उमर फारूक खान, मुजफ्फराबाद
मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट जिसने कश्मीर में बवाल मचाया था और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन ने कश्मीर विवाद के किसी तरह के शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान में अड़चन डालने की शपथ ली है। उसने यह धमकी दी है कि वह कश्मीरियों को सूइसाइड बॉमर्स के रूप में ट्रेन करेगा जो घाटी को ‘भारतीय फौजों का कब्रगाह’ बना देगा। उसका कहना है कि यह लड़ाई अब कश्मीर तक ही सीमित नही रहेगी।
सैयद सलाउद्दीन ने बातचीत को फालतू बताया है और कहा है कि कश्मीर का आतंकवाद के अलावा और कोई समाधान नहीं है। पाक अधिकृत कश्मीर के बैला नूर शाह इलाके के अपने ऑफिस में शनिवार को को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, ‘कश्मीरी नेताओं, वहां के लोगों और मुजाहिदीन को जान लेना चाहिए कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए कोई औपाचिरक और शांतिपूर्ण रास्ता नहीं है।’ उसने कहा कि वहां ‘उद्देश्यपूर्ण सशस्त्र संघर्ष छेड़ने’ के सिवा कोई रास्ता नहीं है। पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद नियंत्रण रेखा से 22 Km. और इस्लामाबाद से 125 Km. दूर झेलम तथा नीलम नदियों के किनारे स्थित है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर पहुंचने के एक दिन पहले ही आतंकी सैयद सलाउद्दीन का यह बयान आया है। रविवार को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल घाटी में उपस्थित तनाव को खत्म करने के लिए राज्य का दौरा करेगा। पाकिस्तान का समर्थक और भारत का विरोधी कश्मीरी आतंकवादियों का समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का सरगना सैयद सलाउद्दीन ने कहा कि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी मौत के बाद कश्मीर में आंदोलन महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच चुका है।
वानी के मारे जाने के दो महीने बाद भी इलाके से कर्फ्यू नहीं हटाया गया है। सलाउद्दीन ने कहा कि पूरा इलाका कन्संट्रेशन कैंप में बदल गया है। उसने कहा, ‘ये कुर्बानियां बेकार नहीं होंगी। वे ताकत के इस्तेमाल पर जोर देकर अलगाववादियों और आजादी की लड़ाई लड़नेवालों के आंदोलन को मजबूत ही करेंगे।’
उसका कहना है कि बातचीत करने से पहले भारत को कश्मीर को एक ‘विवादित’ जगह मानना पड़ेगा। उसने ये भी कहा, ‘अगर आप इसे मसला मानेंगे ही नहीं तो बातचीत की जरूरत ही क्या है?’ उसने धमकी दी, ‘हमें अपनी ताकत का प्रदर्शन करना होगा।’ उसने चेतावनी दी कि हिजबुल का ‘संघर्ष’ मात्र कश्मीर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह ‘पूरे इलाके को अपने अघोश में लेगा’।
सलाउद्दीन ने आत्मघाती हमलावरों के इस्तेमाल को सही बताते हुए कहा, ‘अगर आंध्र प्रदेश, मद्रास, असम, नागालैंड, हरियाणा, बिहार और दिल्ली के सैनिक का हमारे घरों की पवित्रता नष्ट करने के कारण हम आत्मघाती हमले करने और इसे उचित मानने के लिए मजबूर हुए।’ कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया को धोखा करार देते हुए सलाउद्दीन ने दावा किया कि पूरा इलाका अलगाववादी नेताओं के साथ है। उसने कहा, ‘मेरे हथियार उठाने का प्रमुख वजह जम्मू-कश्मीर में फालतू और धांधली वाले चुनाव करवाना है।’
साल 1987 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव लड़ चुका सलाउद्दीन अब किसी भी प्रकार की राजनीतिक मेल-मिलाप से नफरत करता है। तब चुनावी मैदान में उसे जमात-ए-इस्लामी के संगठन मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के कैंडिडेट के रूप में हार का सामना करना पीडीए था। फिर सलाउद्दीन पाकिस्तान जाकर सेना तथा ISI की मदद से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां चलाने लगा। पाकिस्तान ने उसे यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का चीफ बनाकर सम्मानित किया। साल 2000 में वाजपेयी सरकार के वक्त कहा जा रहा था कि वह बातचीत करने के लिए तैयार हो गया था। पर, हिजबुल का एक पक्ष नई दिल्ली से बातचीत के पक्ष में नहीं था, इसलिए सैयद सलाउद्दीन ने पाकिस्तान के दबाव में आकार अपना पैर रोक लिया।
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