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विदेशो में धन के लिए किस तरह करते हैं मां लक्ष्मी की पूजा

विदेशो में धन के लिए किस तरह करते हैं मां लक्ष्मी की पूजा

हिन्दू धर्म मां लक्ष्मी को भगवान विष्णु की पत्नी और धन की देवी माना जाता है। लेकिन अलग अलग देशे में धन की देवी माँ लक्ष्मी की किस रुप में पूजा की जाती है. हम आपको यहाँ बतायेगे। हिन्दू धर्म में बताया गया है कि माँ लक्ष्मी का वाहन उल्लू है। लेकिन यूनान के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी लक्ष्मी का वाहन मोर बताया गया है। यूनान में माँ लक्ष्मी को हेरा और जूनो नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि हेरा आकाश में रहती है और खेतों को हराभरा रखती हैं। कृषि की देवी होने की वजह से जूनो देवी को ‘ग्राम लक्ष्मी’ के नाम से भी जाना जाता है।

पुराणों की कथा के अनुसार माना जाता है कि, एक बार माँ लक्ष्मी धरती वासियों से रूठ गईं। इसकी वजह से अन्न का उत्पादन बंद हो गया। अकाल के कारण जीव-जंतु भूख प्यास व्याकुल होकर तड़पने लगे। देवी लक्ष्मी की नाराजगी दूर होने पर वह ‘माँ अन्नपूर्णा’ रूप में लोगों के दुःख दूर करने के लिए प्रकट हुईं। रोम में देवी लक्ष्मी के अन्नपूर्णा रूप की ही पूजा जाता है। अन्न प्रदान करने वाली लक्ष्मी देवी को रोम में ‘सीरिन देवी’ के नाम से जाना जाता है। फ्लोरा देवी को फ्रांस में माँ लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। यहाँ देवी लक्ष्मी का श्रृंगार फूलो से होता हैं और खुशियों के फूल खिलाती है। इसलिए ‘फ्लोरा देवी’ को समृद्धि और सौन्दर्य की देवी माना जाता है। फ्लोरा देवी की कृपा पाने के लिए फ्रांस की महिलाएं बालों में फूल सजाती हैं। जिससे ‘फ़्लोरा देवी’ की कृपा उनपर बनी रहे।

मिस्र में ‘देवी आइसिस’ धन समृद्धि की देवी हैं। मिस्र की यह देवी अपने हाथों में सांप को धारण की रहती हैं। मिस्र के लोगो का मानना है कि ‘देवी आइसिस’ संकट के समय लोगों की रक्षा करती हैं। इस देवी की कृपा से ही सुख, संपत्ति और खुशियां आती हैं। मिस्र में भी भारत की तरह अवतारवाद की मान्यता है। माना जाता है कि ‘देवी आइसिस’ ने महारानी ‘हेप्त’ के रूप में अवतार लिया था। हिन्दू धर्म में गाय को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। विश्व में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश ‘डेनमार्क’ भी गाय को ही खुशी और समृद्धि की देवी मानता है। वहीं यूरोप में ओसियाड और नीरिड को समृद्धि की देवी माना जाता है। इस देवी का संबंध भी दूध उत्पादन से होता है।

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