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भगवान के सामने दीपक जलाने की परंपरा क्यों बनाई गयी है

भगवान के सामने दीपक जलाने की परंपरा क्यों बनाई गयी है

दीपक क्या है? दीपक एक प्रकार का पात्र है जिसमें रुई की बाती लगाकर घी या तेल डालकर ज्योति प्रज्वलित की जाती है। वैसे तो पारंपरिक तौर पर मिट्टी का दिया ज्योति प्रज्वलित होता है परन्तु अब धातु के दीपक भी अत्यधिक प्रचलन में हैं।
कई बड़ी-बड़ी अंधेरी गुफ़ाओं में इतनी अद्दभुत एवं अत्तयंत ही सुन्दर चित्रकारी मिलती है जिन्हें बनाना बिना दीपक के असंभव था। हमारे भारतवर्ष में दीपक का इतिहास प्रामाणिक रूप से ‘5000 वर्षों’ से भी अधिक पुराना हैं। कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले हिन्दू धर्म में पहले भगवान के सामने दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
दीपक जलाने के धार्मिक कारण-
दीपक को ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। दीपक को पूजा पाठ में विशेष महत्व दिया जाता है। विषम संख्या में आमतौर पर दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूजन के समय हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है। घी के दीपक से आरती करने पर घर में सुख समृद्धि आती है। घी के दीपक से आरती करने से घर में लक्ष्मी जी का स्थाई रूप से निवास होता है।
दीपक जलाने के वैज्ञानिक कारण-
सकारात्मकता का प्रतीक दीपक को माना जाता है एवं दीपक प्रज्वलित करने से दरिद्रता दूर होती है। गाय के दूध से बनाये गये घी में रोगाणुओं को दूर करने की क्षमता अधिक मात्रा में होती है। यह गाय का घी जब भी दीपक में अग्नि के संपर्क से पूरे वातावरण को पवित्र बना देता है एवं प्रदूषण को दूर करता है।
यह मंत्र बोलिए दीपक जलाते समय-
“दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।”
जानिए नियम दीपक जलाने के-
1) पूर्व दिशा की तरफ़ दीपक की लौ रखने से आयु में वृद्धि होती    है।
2) पश्चिम दिशा की तरफ़ दीपक की लौ रखने से दुख में बढ़ोतरी होती है।
3) उत्तर दिशा की तरफ़ दीपक की लौ रखने से धन लाभ होता है।
4) कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ़ दीपक की लौ को ना रखें इससे जन या धन की हानि होती है।

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