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भक्तों को मुरीद बनाते हैं बांके बिहारी के चमत्कार

भक्तों को मुरीद बनाते हैं बांके बिहारी के चमत्कार

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बांके ब‌िहारी मंद‌‌िर का अध‌िग्रहण का मामला बढता ही जा रहा है। गोस्वामी समाज के लोग और कई दूसरे ह‌िन्दू संगठन के लोग सरकार के इस फैसले का व‌िरोध कर रहा हैं। अब ह‌िन्दू संगठन इस मुद्दे को अदालत तक ले जाने की तैयारी भी कर रहा है। लेक‌िन क्या बांके ब‌िहारी मंद‌‌िर का अध‌िग्रहण पर सरकार और जनता के बीच संघर्ष उच‌ित है। क्योंक‌ि ज‌िसके चमत्कार और लीलाओं का गुणगान पूरा ब्रजवासी और संसार करता है क्या इस व‌िषय में वह खुद कोई न‌िर्णय नहीं ले सकता क‌ि उन्हें क‌िसके साथ रहना है। उनकी लीलाओं में कुछ क‌िस्से ऐसे भी शामिल हैं ज‌िसमें बांके ब‌िहारी जी ने खुद सामने प्रकट होकर बड़े फैसले लिए है। हम आपको बांके ब‌िहारी जी के उन्हीं चमत्कारी लीलाओं को बताते है।

एक गरीब ब्राह्मण जो बांके बिहारी का भक्त था। एक बार उसने किसी महाजन से कुछ रुपये उधार लिए थे। जिसे हर महीने वह थोड़ा थोड़ा करके अपना क़र्ज़ चुकता था । आखिरी किस्त के पहले ही महाजन ने उसे अदालती नोटिस भिजवा और उधार के साथ पूरी रकम ब्याज सहित वापस करे। ब्राह्मण बहुत परेशान हो गया। महाजन के पास जा कर और उसने बहुत सफाई दी पर उसपर कोई असर नहीं हुआ। मामला कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट में भी ब्राह्मण ने जज से वही बात कही, मैंने सारा पैसा चुका दिया है। जज ने पूछा, कोई गवाह है जिसके सामने तुम महाजन को पैसा देते थे, जिससे ये साबित हो जाये की तम सही हो । कुछ सोचकर ब्राह्मण ने बिहारीजी मंदिर का पता बता दिया।

अदालत में मंदिर का पता नोट करा दिया। अदालत की ओर से मंदिर के पते पर सम्मन जारी कर दिया गया। वह नोटिस बिहारीजी के सामने रख दिया गया। गवाही के दिन एक बूढ़ा व्यक्ति जज के सामने गवाह के तौर पर पेश हुआ। उसने कहा कि उधार के पैसे देते वक्त मैं साथ होता था और इस इसतारीख को रकम वापस की गई थी। जज ने सेठ का बहीखाता देखा तो रकम दर्ज थी, लेकिन नाम फर्जी डाला गया था। जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार दिया। लेकिन उसके मन में यह उथल पुथल मची रही कि आखिर वह गवाह था कौन। उसने ब्राह्मण से पूछा, ब्राह्मण ने बताया कि बिहारीजी के सिवा कौन हो सकता है। इस घटना ने जज साहब को इतना विभोर कर दिया किया कि उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया और वह फ़क़ीर बन गए.

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