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दोनों पक्षों की दलील राष्ट्रपति शासन पर हुई पूरी

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नैनीताल के हाईकोर्ट में बुधवार को राष्ट्रपति शासन पर दोनों पक्षों की दलीलें अब पूरी हो गई है। गुरुवार यानी 21 अप्रैल को इस केस की अगली सुनवाई होगी। बुधवार के दिन हाईकोर्ट में शाम पांच बजे तक इसी सुनवाई चली थी। हालांकि दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने पर अब यह संभावना दिख रही है कि गुरुवार के दिन फैसला आ सकता है। कोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई के लिए गुरुवार को दोपहर दो बजे का समय निर्धारित किया है। हाईकोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के बीच उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन पर सक्त रुख अख्तियार किया। नैनीताल के हाईकोर्ट ने कहा कि, राष्ट्रपति कोई राजा नहीं हैं। उधर, उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन को गलत ठहराए जाने की संभावना हाईकोर्ट के इस कड़े रवैये से प्रबल होती दिखाई दे रही है।

हाईकोर्ट की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने दलीलें सुनने के दौरान कहा कि, पूर्ण शक्ति किसी भी व्यक्ति को भी भ्रष्ठ कर सकती है और साथ ही ये भी कहा की राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं। हालाकि ऐसे में उनके इस फैसलों की समीक्षा हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा की भारत के न्यायालयों को सभी न्यायालयों के आदेशों के न्यायिक रिव्यू का अधिकार है। पक्षों में बहस के बीच न्यायाधीश की कड़ी सख्ती और सबूतों से ऐसी संभावना प्रकट हो रही है। दूसरी तरफ, ​याचिकाकर्ता हरीश रावत के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश से कहा की विधानसभा अध्यक्ष के बिल की स्वीकृत कहने तथा राज्यपाल द्वारा विवादित कहने की वजह से राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है।

हाईकोर्ट में बुधवार को राष्ट्रपति शासन पर अपनी दलील पेश करते हुए हाईकोर्ट में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से बताया की गोपनीय मुख्य कागजों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट द्वारा लिखे गये ख़त में जोकि राज्यपाल को भेजा गया था उसमे कहा गया है की फ्लोर टेस्ट की मांग 27 विधायकों ने की थी हालांकि उसमें 9 बागी विधायकों का नाम नहीं था। दरअसल तुषार मेहता के अनुसार 18 मार्च 2016 की रात 11:30 बजे नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने 35 विधायकों के साथ मिलकर राजभवन में राज्यपाल को पत्र दे कर वित्त विधेयक गिरने का हवाला दिया और वहा के हालातों से परिचीत भी कराया था। यह मामला 18 मार्च के वित्त विधेयक के अल्पमत में होने का नहीं है, बल्कि 28 मार्च के प्रस्तावित हुए फ्लोर टेस्ट का है। उन्होंने यह भी बताया की वित्त विधेयक गिरने के बावजूद स्पीकर द्वारा विधेयक को पास बताकर संविधान के मजाक उड़ाया गया था।

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