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जीन में फेरबदल कर बुद्धिमान बच्चों को दे जन्म…

जीन में फेरबदल कर बुद्धिमान बच्चों को दे जन्म…

आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा तेज दिमाग, देखने में सुंदर और स्मार्ट हो पर कई बार क़ुदरत ये मेहरबानी नहीं करती। तब क्या आप अपने बच्चे को सुंदर और तेज बनाने के लिए उनके जीन में फेरबदल करना चाहेंगे???

इन दिनों यह बात बहुत चर्चा में है कि क्या इंसानों के जीन में फेरबदल करना चाहिए और डिज़ाइनर बच्चे बनाये जाने चाहिए?? डिज़ाइनर बच्चो से हमारा अर्थ ये है कि आप अपने बच्चे में जो ख़ूबियां देखना चाहते हैं वो उसके जीन में फेरबदल करके डाल दी जाएं।

असल में CRISPR-cas9 नाम का एक यंत्र वैज्ञानिकों ने विकसित कर लिया है। इसकी मदद से इंसानों के डीएनए में बदलाव कर सकते है और होने वाले बच्चे में वो सारी क्वालिटी डाली जा सकती है जो उसके माता-पिता चाहते है।

विज्ञान का यह दावा है कि अब हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां अपनी उम्मीदों और ख़्वाहिशों के अनुसार बच्चे पैदा कर सकते है। परन्तु इस बारे में लोगों में दुविधा है। पश्चिमी देशों में इस बात का कड़ा विरोध हो रहा है कि क़ुदरत के काम में इंसान का दखल देना सही नहीं है।

इस विरोध की कई वजहें हैं पहली तो ये कि अगर उनका यह एक्सपेरिमेंट सफल ना हुआ तो आने वाले बच्चे कि ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी और कुछ हद तक उससे जुड़े लोगो कि भी।

दूसरी वजह विरोध कि यह है कि जिसके पास पैसा है वह तो अपने लिए डिज़ाइनर बच्चे पैदा कर लेंगे जो बाकि बच्चो से अधिक बुद्धिमान होंगे, पर गरीब लोग ऐसा नहीं कर सकते, जिससे इंसानों कि कई नस्ल पैदा हो जाएगी। वो बच्चे ज़िंदगी के तमाम क्षेत्र में आगे निकल जाएंगे इससे सभी इंसानों की बराबरी का सिद्धांत ही बेकार हो जाएगा।

इसीलिए पश्चिमी देशों में जीन एडिटिंग की कोशिश का खास विरोध हो रहा है।  लोग इस बात के ख़िलाफ़ हैं कि इंसान, भगवान के काम में दखल दे रहा है। जनता की राय इसके ख़िलाफ़ होने के कारण अमरीका, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे लोकतांत्रिक देशों में इस क्षेत्र में आगे बढ़ना मुश्किल है।

मगर आर्थिक तरक़्क़ी में आगे चीन देश ऐसा है जहां पर डिज़ाइनर बच्चे पैदा किए जाने की दिशा में तेज़ी से काम होने की उम्मीद है।

आर्थिक तरक़्क़ी के साथ-साथ चीन विज्ञान के क्षेत्र में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। वहां के लोग बेहतर इंसान बनाने की दिशा में दिलचस्पी दिखा रहे है। चीन में लोकतंत्र न होने के कारण, अगर लोगो कि राय अच्छी नही है तो सरकार को इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

चीन में 2015 में CRISPR-cas9 की मदद से जीन एडिटिंग का एक एक्सपेरिमेंट किया गया था। हाल के दिनों में कैंसर के मरीज़ों के इलाज के लिए भी चीन में CRISPR-cas9 जीन एडिटिंग टूल की मदद ली गई है।

अगर हम जीन में फेरबदल के नैतिक कारणों को अनदेखा कर दे तो किसी भी देश को इससे काफ़ी फ़ायदे हो सकते हैं। इसकी मदद से कोई भी देश ज़्यादा बुद्धिमान इंसान पैदा कर सकता है जिससे उस देश की आर्थिक स्थिति में सुधर आयेगा।

जीन एडिटिंग करके हम सुपरमैन जैसे इंसान पैदा कर सकते है। यहाँ तक की अपराध करने वाले जीन में फेरबदल करके कोई भी देश अपराध को कम कर सकता है।

हालांकि अभी जीन एडिटिंग ये फ़ायदे महज़ अंदाज़े तक सीमित हैं। असल में ऐसा होगा या नहीं, ये बात आज़माई जानी बाक़ी है। इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की हिम्मत फ़िलहाल अभी तक चीन ने ही दिखाई है।

यदि चीन ने जीन एडिटिंग की मदद से बेहतर इंसान बनाने शुरू कर दिए, तो वो पश्चिमी देशों से काफी आगे निकल सकता है जो पश्चिमी देशों के लिए चिंता की बात है।

मानवाधिकारों के क्षेत्र में चीन का रिकॉर्ड पहले से ही बहुत ख़राब है। अगर उसने जीन में फेरबदल करने के लिए अपने नागरिकों का इस्तेमाल किया, तो ये और ख़राब बात होगी। हालांकि इसके लाभों को देखते हुए ये कहना मुश्किल है की चीन ऐसा करेगा या नही।

दुनिया का नंबर एक देश बनने के लिए चीन कुछ भी कर सकता है इसके लिए उसे कुछ लोगो के जीन में फेरबदल करने में भी ऐतराज़ नही होगा। अब चीन द्वारा डिज़ाइनर बच्चे को पैदा करने की कोशिश को दुनिया किस नज़रिए से देखता है। ये सब इंसान और देश के लिए अलग-अलग बात है।

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