गंगा में शव प्रवाह पर लगा प्रतिबंध, जारी किया आदेश
07/07/2016
समाज में यह धारणा सदियों से है कि यदि मरने के समय मुंह में गंगा जल की कुछ बूंदे पड़ जाएं या फिर अंतिम संस्कार पवित्र गंगा के निर्मल जल में हो तो मोक्ष मिलना निश्चित होता है। लेकिन लगातार इस बढ़ते प्रदूषण ने राष्ट्रीय हरित अभिकरण को भी इस सदियों पुरानी मान्यता पर चोट करने को विवश किया है। उत्तर प्रदेश शासन के नगर विकास विभाग के बाद नगरीय निकाय निदेशालय के निदेशक ने जिलाधिकारी के माध्यम से गंगा के किनारे स्थित सभी स्थानीय निकायों के अधिशासी अधिकारियों को गंगा तथा उसकी सहायक नदियों में मृत शव प्रवाह पर रोक लगाने का निर्देश दिए हैं। पवित्र गंगा नदी में प्रदूषण का मुद्दा तो सड़क से संसद तक लंबे समय से गूंजता रहा है, अरबों की धनराशि भी प्रदूषणक की वजह से व्यय की गयी है लेकिन गंगा के बढते प्रदूषण कम नहीं हुआ है।
18 जनवरी-2016 को राष्ट्रीय हरित अभिकरण ने आदेश जारी करके गंगा में शव का प्रवाह रोकने को कहा था। जिस पर नगर विकास विभाग के सचिव ने 1 फरवरी के दिन शासनादेश ललागू कर दिया। नगरीय निकाय निदेशालय के निदेशक अविनाश कृष्ण ने 3 फरवरी को गंगा व उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह गंगा नदी व उसकी सहायक नदियों में शवों का प्रवाहित किए जाने पर प्रतिबंध लगाएं। उत्तर प्रदेश में चंदौसी के अधिशासी अधिकारी संजय कुमार गौतम ने बताया कि शासनादेश के अनुपालन में कार्रवाई की जाएगी। गंगा जिले की सीमा से गुजरती है, गाँव नगर पंचायत क्षेत्र के छू कर जाती है लेकिन अन्य काफी शहरी क्षेत्र तो गंगा की तलहटी से दूरी पर हैं। जिलाधिकारी की तरफ से दिशा निर्देश लागू किए जाएंगे।
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