ओपीडी में उमड़ उठी मरीजों की भीड़, हार्ट और अस्थमा के मरीजो की संख्या बढ़ी लुढ़कते पारे से
02/07/2016
भयंकर ठंड और कोहरे की चपेट में है पूरा यूपी । अस्पतालों में हार्ट और अस्थमा के मरीजों की संख्या तापमान के गिरने से बहुत तेजी में बढ़ती जा रही है। नई दिल्ली के केजीएमयु से लेकर बलरामपुर, सिविल और लोहिया अस्पताल में हार्ट के मरीजों की संख्या बढ़ जाने की वजह से हार्ट अटैक के मरीजों को भर्ती कर लिया जा रहा, परन्तु ब्लडप्रेशर के मरीजों को ट्रीटमेंट करके छुटटी दे दी जा रही है। भीड़ अत्यधिक होने के कारन अस्पताल के वार्ड में जगह ही नह है और दुसरे मरीजो को वो सेवाए उपलब्ध नही दी जा पा रही है जिसकी उन्हें जरुरत है अन्य मरीजो को केवल ट्रीटमेंट देकर छुट्टी कर दी जा रही है ।
हार्ट और अस्थमा के मरीजो की ठंड के मौसम में बढ़ जाती है संख्या आखिर ठंड में ही क्यों…?
- डॉ. आशुतोष दूबे जो की सिविल हास्पिटल के अधीक्षक और कार्डियोलॉजिस्ट है, उनका कहना है कि अन्य मौसमो की अपेक्षा ठंड के मौसम में हार्ट के रोगियों की संख्या बढ़ गयी है । हार्ट के रोगियों से हास्पिटल के वार्ड भरे हुए हैं।
- डॉ. यू एन राय जो कि बलरामपुर हास्पिटल के निदेशक है इनका कहना है कि ठंड के मौसम में हार्ट और अस्थमा के मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी हुयी है। रोजाना ओपीडी में सांस और रक्क्तचाप के मरीजो की संख्या दोगुनी बढ़ती जा रही है।
- डॉ. भुवन चंद्र तिवारी और डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के जो कार्डियोलॉजिस्ट है उनका भी यही कहना है कि केवल गंभीर रोगियों को ही भर्ती किया जा रहा है। जिससे की वार्डों में सभी प्रकार की सुविधाए दी जा सके ।
प्रो. आर के सरन जो की किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष है इनका कहना है कि जाड़े के मौसम में अधिक तेल मसाले और लजीज खाने के प्रयोग से दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। प्रो. आर के सरन ने बताया कि ठंड के मौसम में दिल से जुड़ी रक्त वाहिकाओं के अंदर सिकुड़न पैदा होने लगती है जिसकी वजह से उनकी सक्रियता कम होने लगती है और हार्ट अटैक का खतरा अधिक बढ़ जाता है। शारीर के अन्दर मौजूद नमक शरीर से बाहर ठंड की वजह से निकल नहीं पाते जिससे हार्ट अटैक की संभावना अधिक बढ़ जाती है। ज्यादा ठंड में हृदय रोगियों को सैर पर नहीं जाना चाहिए और जितना हो सके ठंडी चीजो से परहेज कर खुद को सुरक्छित रखना चाहिए।
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